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WorldEarthDay2017: सिर्फ हमारी वजह से बर्बादी की ओर जा रही है धरती

आज पृथ्वी दिवस है. तो क्यों ना आज के दिन धरती मां को लेकर थोड़ी चिंता जाहिर कर लेते हैं...  

WorldEarthDay2017 WorldEarthDay2017
वंदना भारती
  • नई दिल्ली,
  • 22 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 4:09 PM IST

आज जहां हम रहकर खुलकर सांस ले रहे हैं, हम उस धरती मां के शुक्रगुजार हैं. आज 22 अप्रैल को पूरे विश्व में पृथ्वी दिवस (world earth day) मनाया जा रहा है.

साल 1970 में पहली बार पृथ्वी दिवस मनाया गया था. इसकी शुरूआत 1970 में अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन द्वारा एक पर्यावरण शिक्षा के रूप में की गयी और इसे कई देशों में हर साल मनाया जाता है. पृथ्वी दिवस मनाने का सिर्फ एक ही उद्देश्य है, लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना.

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लेकिन आज आप और हम ना जाने कितनी ही बार पृथ्वी को चोट पहुंचा रहे हैं. पर्यावरण को दूषित कर रहे हैं. अगर आज भी हम नहीं जागे तो भविष्य में पृथ्वी के विनाश के सबसे बड़े जिम्मेदार हम ही होंगे.

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पृथ्वी खो रही है अपना अस्तित्व:-

1. हम सबने मिलकर वातावरण को दूषित कर दिया है. अगर आज भी हम नहीं चेते तो धीरे-धारे सब नष्ट हो जायेगा.

2. पर्यावरण प्रदूषण की समस्या विश्व में बढ़ती जनसंख्या और शहरों में तेजी से हो रही वृद्धि के कराण बढ़ता प्रदूषण है. लेकिन हमें क्या? हम क्या कर सकते हैं ?

3. हम ये बात अच्छे से जानते हैं कि पृथ्वी के लिए सबसे घातक पॉलीथीन है क्योंकि इसके इस्तेमाल से भूमि की उर्वरक क्षमता नष्ट हो रही है.वहीं इसे जलाने से निकलने वाला धुआं ओजोन परत को नुकसान पहुंचाता है, जो ग्लोबल वार्मिग का सबसे बड़ा कारण है. 

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4. पृथ्वी के औसत तापमान में बढ़ोतरी ही ग्लोबल वार्मिग कहलाती है. 20वीं शताब्दी के शुरुआत से ही पृथ्वी के तापमान में बढ़ोतरी की शुरुआत हो गई थी. पृथ्वी के तापमान में पिछले सौ सालों में 0.18 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की वृद्धि हो चुकी है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि धरती का तापमान इसी तरह बढ़ता रहा, तो 21वीं सदी के अंत तक 1.1-6.4 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान बढ जाएगा. जो पृथ्वी को नष्ट करने के लिए काफी है.

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5. हम कई बार कह देते है मौसम खराब चल रहा है. लेकिन ये क्यों भूल जाते है कि इस खराब मौसम की सबसे बड़ी वजह तो हम ही हैं. ना जाने कब हम पेड़ को काटना और नदियों, तालाबों को गंदा करना कब बंद करेंगे.

6 . बचपन मे कहा जाता धरती हमारी माता है. लेकिन शायद हम बड़े होते-होते ये बात भूल जाते हैं. आज वर्ल्ड अर्थ डे पर भले ही हम पृथ्वी को लेकर ही चिंता कर लें, पर ये कहना गलत नहीं होगा सिर्फ हमारी वजह से धरती बर्बादी की ओर जा रही है.

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